दोस्तों हम आपको Premchand Biography in hindi इस पोस्ट के माध्यम से मुंशी प्रेमचंद जी के जीवनी के बारे मे बतानेे वाले हैं, जो एक लेखक और साहित्यकार हैं। प्रेमचंद जी ने अपने जीवन में बहुत सारी कहानियाँ और पुस्तकों का लेखन किया हैं।
प्रेमचंद जी लेखन के अलावा फिल्म मे भी काम कर चुके हैं। प्रेमचंद जी का परिवार, करिअर, तथ्य उनके जीवन की कुछ महत्वपूर्ण बाते हमने इस लेख मे बताने की कोशिश की हैं। इस पोस्ट को आप अंतिम तक पढ़े।
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Table of Contents
Premchand Biography In Hindi
Point | Information |
नाम | मुंशी प्रेमचंद |
पूरा नाम | धनपत राय |
भाषा | हिन्दी व उर्दू |
जन्म | 31 जुलाई 1880 |
जन्म स्थल | लमही, वाराणसी |
व्यवसाय | अध्यापक, लेखक, पत्रकार |
कार्यक्षेत्र | लेखक, साहित्यकार |
प्रसिद्द उपन्यास | ईदगाह, पंच परमेश्वर, कफन |
प्रथम हिंदी कहानी | सोत (1915) |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
प्रेमचंद जी का पसंदीदा
उपन्यासकार | जॉर्ज डब्ल्यू एम रेनॉल्ड्स (एक ब्रिटिश कथा लेखक) |
लेखक | जॉन गल्सवर्थी, सादी शिराज़ी, गाइ डे मौपासेंट, मौरिस मैटरलिंक, चार्ल्स डिकेंस, ऑस्कर वाइल्ड, हेंड्रिक वैन लून ,जॉर्ज डब्ल्यू एम रेनॉल्ड्स का उपन्यास “द मिस्ट्रीज़ ऑफ़ द कोर्ट ऑफ़ लंदन” |
दार्शनिक | गोपाल कृष्ण गोखले, बाल गंगाधर तिलक, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी |
प्रेमचंद जी का परिवार (Premchand Family)
पिता का नाम | अजैब राय (डाकघर क्लर्क) |
माता का नाम | आनंदी देवीभाई |
पहली पत्नी का नाम | एक अमीर जमींदार परिवार की लड़की से शादी कर ली, जब वह 15 साल की उम्र में 9वीं कक्षा में पढ़ रहा था। |
दूसरी पत्नी | शिवरानी देवी |
बेटे का नाम | अमृत राय (लेखक) श्रीपथ राय |
बेटी का नाम | कमला देवी |
बहन का नाम | सुग्गी राय (बड़ी) |
मुंशी प्रेमचंद का जीवन करियर (Premchand biography of career)
प्रेमचंद जी को लेख कहानियाँ लिखना काफी अच्छा लगता हैं और यह उनका शौक भी हैं। इलाहाबाद में ही प्रेमचंद जी ने गंभीरता से लेख लिखना शुरू कर दिया था। प्रेमचंद जी ने अपने साहित्यिक जीवन की शुरुआत उर्दू भाषा से की थी और उर्दु में कई लघु कथाएँ भी उन्होंने लिखीं हैं। प्रेमचंद जी का पहला उपन्यास असरार ए माबिद पहली बार आवाज-ए-खल्क यह उपन्यास उर्दू साप्ताहिक में प्रकाशित हुआ था।
इसके तुरंत बाद प्रेमचंद जी एक उर्दू पत्रिका से जुड़ गए थे। मुंशी प्रेमचंद ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों पर उर्दू मे लेख लिखा था। मुंशी प्रेमचंद जी ने उर्दू में लघु कथाओं का एक संग्रह भी लिखा जिसे सोज़-ए-वतन के नाम से जाना जाता हैं। उर्दू भाषा मे एक लेखक के रूप में प्रेमचंद जी का करियर आकार लेने लगा था और वह कानपुर की साहित्यिक दुनिया का एक प्रतिष्ठित हिस्सा भी बन चुके थे।
1) प्रेमचंद जी का अध्यापक करिअर
मुंशी प्रेमचंद जी ने अपनी मैट्रिक की पढाई पूरी करने के बाद बनारस में एक वकील के बेटे को पढ़ाने के लिए मासिक वेतन पर अध्यापक बन गये थे। कुछ समय बाद उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के चुनार गाँव में एक मिशनरी स्कूल के प्राध्यापक ने उन्हें मासिक वेतन पर एक शिक्षक की नौकरी के लिए पेशकश किया था और जिसे प्रेमचंद ने स्वीकार कर लिया था।
एक शिक्षक के रूप में प्रेमचंद जी का साल 1900 में कार्य किया था। तब वो बहराइच, उत्तर प्रदेश के सरकारी जिला स्कूल में मासिक वेतन पर सहायक शिक्षक बन गए। तीन साल बाद प्रेमचंद जी को प्रतापगढ़ के सरकारी इंटर कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया गया था।
2) प्रेमचंद का संपादक और प्रकाशक
गोरखपुर के नॉर्मल हाई स्कूल में सहायक मास्टर की नौकरी छोड़ने के बाद मुंशी प्रेमचंद जी 18 मार्च 1921 को अपने गृहनगर बनारस को लौट आए थे। साल 1923 में उन्होंने बनारस में एक प्रिंटिंग प्रेस और प्रकाशन गृह सरस्वती प्रेस की स्थापना की थी। प्रेमचंद जी के कुछ रंगभूमि, प्रतिज्ञा, निर्मला और गबन जैसी प्रशंसित साहित्यिक रचनाएँ इस दौरान लोगों के सामने आईं थी।
प्रेमचंद का बचपन और प्रारंभिक जीवन
प्रेमचंद जी का जन्म धनपत राय श्रीवास्तव के रूप में 31 जुलाई 1880 को हुवा है और उनका जन्म स्थान ब्रिटिश भारत के वाराणसी के पास एक लम्ही गांव में हुआ था। उनके माता का नाम अजायब राय था और वो पेशे से एक डाकघर के क्लर्क थे। उनकी माता का नाम आनंदी देवी था और वह एक गृहिणी थी। प्रेमचंद जी उनके माता पिता की चौथी संतान थे।
प्रेमचंद जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लालपुर के एक मदरसे से पूरी की है, वहा उस स्कूल में प्रेमचंद ने उर्दू और फारसी सीखी जैसी भाषाएँ सीखी हैं। प्रेमचंद जी ने बाद में एक मिशनरी स्कूल में दाखिला लिया और वहा से उन्होंने अंग्रेजी भाषा सीखी हैं।
मुंशी प्रेमचंद जी के विवाद (Munshi Premchand Controversy)
- सरस्वती प्रेस में उनके दो वरिष्ठ कार्यकर्ताओं प्रवासीलाल वर्मा और विनोदशंकर व्यास ने प्रेमचंद जी पर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया भी था।
- प्रेमचंद जी को उनके साथी अक्सर लेखकों द्वारा उनकी पहली पत्नी को छोड़ने और एक बाल विधवा लड़की से शादी करने के लिए उनकी आलोचना करते थे।
- प्रेमचंद जी की बेटी बीमार होने पर उन्होंने अपनी बेटी के इलाज के लिए रूढ़िवादी रणनीति का इस्तेमाल करने के लिए भी उनकी आलोचना की गई थी।
- उनकी दूसरी पत्नी शिवरानी देवी भी उनसे खुश नहीं थीं। प्रेमचंद जी का अन्य कई महिलाओं के साथ संबंध होने के कारण शिवरानी देवी भी नाख़ुश थी। एक तथ्य जिसका उन्होंने “प्रेमचंद घर में” इस लेख में उल्लेख किया था।
प्रेमचंद जी की मृत्यू से पहले
प्रेमचंद जी अपने खराब स्वास्थ्य के कारण वे हंस नाम के अपने लेखन को प्रकाशित करने में असमर्थ रहे थे। अपने उस हंस नाम के लेख को उन्होंने भारतीय साहित्य सलाहकार को सौंप दिया था। साल 1936 में प्रेमचंद को लखनऊ में प्रगतिशील लेखक संघ के पहले अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया था।
उनकी बीमारी के कारण साल 1936 में 8 अक्टूबर को प्रेमचंद जी का निधन हो गया। उनका अंतिम हिंदी उपन्यास गोदान है। वह कभी भी लेखन या अध्ययन के उद्देश्य से देश से बाहर नहीं गए हैं। प्रेमचंद जी कभी भी विदेशी साहित्यकारों के बीच प्रसिद्ध नहीं हुए हैं। साल 1936 में उनके सर्वश्रेष्ठ लेखन में से कफन यह एक लेख काफी लोकप्रिय रहा हैं। उनकी अंतिम कहानी क्रिकेट मैच थी जो साल 1937 में ज़माना में उनकी मृत्यु के बाद प्रकाशित हुई थी।
मुंशी प्रेमचंद जी के बारे मे महत्वपूर्ण तथ्य
मुंशी प्रेमचंद जी की कहानियाँ
- कौशल़
- खुदी
- गैरत की कटार
- गुल्ली डण्डा
- घमण्ड का पुतला
- दण्ड
- दुर्गा का मन्दिर
- देवी
- देवी – एक और कहानी
- दूसरी शादी
- दिल की रानी
- दो सखियाँ
- धिक्कार
- नरक का मार्ग
- नैराश्य
- नैराश्य लीला
- नशा
- नसीहतों का दफ्तर
- नाग-पूजा
- परीक्षा
- पूस की रात
- बैंक का दिवाला
- बेटोंवाली विधवा
- बड़े घर की बेटी
- बड़े बाबू
- सौत
- होली की छुट्टी
- नम क का दरोगा
- गृह-दाह
- सवा सेर गेहुँ नमक कादरोगा
- दुध का दाम
- मुक्तिधन
- कफ़न
- मोटेराम जी शास्त्री
- र्स्वग की देवी
- राजहठ
- राष्ट्र का सेवक
- लैला
- वफ़ा का ख़जर
- वासना की कड़ियॉँ
- विजय
- विश्वास
- शंखनाद
- शूद्र
- शराब की दुकान
- शान्ति
- शादी की वजह
- शान्ति
- स्त्री और पुरूष
प्रेमचंद के पुस्तक
• प्रेम सूत्र
• माँ
• वरदान
• काशी में आगमन
• बेटो वाली विधवा
• नरक का मार्ग
• वफ़ा का खंजर
• पुत्र प्रेम
• घमंड का पुतला
• बंद दरवाजा
• कर्मभूमि 1932
• निर्मला 1925
• कायाकल्प 1927
• रंगभूमि 1925
• सेवासदन 1918
• गबन 1928
• कफन
• बड़े घर की बेटी
• राष्ट्र का सेवक
• ईदगाह
• मंदिर और मस्जिद
• सभ्यता का रहस्य
• गोदान 1936
• प्रेमचन्द की अमर कहानिया
• नमक का दरोगा
• दो बैलो की कथा
• पूस की रात
• पंच परमेश्वर
• माता का हृदय
• कायापलट
• कर्मो का फल
प्रेमचंद जी के नाटक
- संग्राम (1923
- प्रेम की वेदी (1933)
- कर्बला (1924)
मुंशी प्रेमचंद जी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
• प्रेमचंद ने अपने अधिकांश लेख मुंशी प्रेमचंद और नवाब राय इन दो कलम नामों से लिखे हैं।
• प्रेमचंद जी के चाचा महाबीर जो एक अमीर जमींदार थे उन्होंने ही प्रेमचंद को “नवाब” यह उपनाम दिया था।
• प्रेमचंद ने अपना पहला उपन्यास ‘असरार-ए-मा आबिद’ यह नवाब राय के तहत लिखा गया था।
• साल 2016 में प्रेमचंद जी के 136 वें जन्मदिन पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें सम्मानित किया था।
• सिगफ्राइड शुल्ज और प्रकाश चंद्र गुप्ता सहित कई साहित्यिक आलोचकों ने ‘असरार-ए-मा आबिद’ इस उपन्यास की आलोचना किया हैं और इसे “अपरिपक्व कार्य” यह करार दिया हैं।
• एक समय पर प्रेमचंद जी इतने कर्ज में डूबे हुए थे कि उस कर्जों से छुटकारा पाने के लिए अपनी किताबों का संग्रह भी बेच दिया था।
• मुंशी प्रेमचंद जी ने अपना दूसरा उपन्यास ‘हमखुरमा-ओ-हंसवब’ छद्म नाम ‘बाबू नवाब राय बनारसी’ के तहत लिखा गया है।
• एक शिक्षक के रूप में प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश में कार्य के दौरान प्रेमचंद जी को मुंशी नाम की उपाधि मिली हैं।
• साल 1914 में जब प्रेमचंद ने पहली बार हिंदी में लिखना शुरू किया था, उससे पहले वो उर्दू में एक लोकप्रिय कथा लेखक बन चुके थे।
• जब साल 1907 में ब्रिटिश सरकार के अधिकारियों द्वारा ‘सोज-ए-वतन’ नामक उनके पहले लघु कहानी संग्रह पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, तो जिला मजिस्ट्रेट ने प्रेमचंद जी को अपनी सभी कहानी की प्रतियां जलाने का आदेश दिया था। प्रेमचंद को इस तरह के लेख को ना लिखने की चेतावनी भी दी गयी थी।
• मुंशी दया नारायण निगम जिन्होंने उन्हें छद्म नाम “प्रेमचंद” सुझाया था और तब से धनपत राय प्रेमचंद बन गए।
• बनारस में सरस्वती प्रेस के कर्मचारियों ने उनके वेतन का भुगतान नहीं करने पर प्रेमचंद जी के खिलाफ हड़ताल किया था। इसका एक मुद्दा उनकी फिल्म “मजदूर” में दिखाया गया था।
• प्रेमचंद ने साल 1934 की हिंदी फिल्म “मजदूर” में उन्होंने मजदूर संघ के नेता के रूप में काम किया हैं।
• प्रेमचंद जी ने पहिली फिल्म की पटकथा भी लिखी थी।
• साल 1936 में प्रेमचंद की मृत्यु से कुछ दिन पहले वो लखनऊ में प्रगतिशील लेखक संघ के पहले अध्यक्ष थे।
• इकबाल और रवींद्रनाथ टैगोर जैसे अपने समकालीन लोगों के विपरीत प्रेमचंद ने कभी भारत से बाहर यात्रा नहीं की और न ही विदेश में अध्ययन किया हैं।
प्रेमचंद जी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण सवाल
1) प्रेमचंद की पहली उर्दू कहानी कौन सी है?
जवाब :- प्रेमचंद की पहिली ऊर्दू कहानी ‘असरारे म आबिद’ हैं।
2) प्रेमचंद ने कहाँ तक शिक्षा प्राप्त की?
जवाब :- 13 साल की उम्र मे प्रेमचंद ने तिलिस्म- ए – होशरूब पढ़ा हैं।
3) प्रेमचंद के बेटे का नाम क्या था?
जवाब:- प्रेमचंद के दो बेटे हैं।
1) अमृत रॉय
2) श्रीपथ रॉय
4) प्रेमचंद की पहली कहानी कौन सी है?
जवाब :- प्रेमचंद की पहिली कहानी सोत (1915) है।
5) प्रेमचंद की मृत्यु कब हुई?
जवाब :- प्रेमचंद की मृत्यु 8 ऑक्टोम्बर् 1936 me हुई।
दोस्तों हमने आज Premchand biography in hindi इस लेख मे प्रेमचंद जी के जीवन हर एक बात बताने की कोशिश किया हैं। हमे आशा हैं हमारा ये लेख आपको अच्छा लगा होगा। अगर आपको अच्छा लगा हमारा premchand biography in hindi ये लेख तो अपने दोस्तों के साथ इस लेख को share जरूर करे।
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