पाप कितने प्रकार के होते हैं? ऐसे सवाल का जवाब वही लोग जानना चाहते है, जो ईश्वर के उपर विश्वास रखते है और ईश्वर को मानते है। जो लोग लोग पाप कर्मो से हमेशा बचना चाहते है। सबसे पहले आपको यह भी जानना चाहिए की कौन से कौन से ऐसे कर्म है, जो पाप की श्रेणि मे आते है और वह कितने प्रकार है।
आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता देते है, की हमारे धर्म ग्रंथो मे काफी सारे प्रकार के पापों को बताया गया है। हमने आपको इस पोस्ट मे उन सभी पापों को चार भागो मे बाट कर बताया है, जिनके आगे इस लेख मे बताया है। आपको पाप के बारे मे जानना है, तो आप इस लेख को अच्छे से पढ़िये।
Table of Contents
पाप कितने प्रकार के होते हैं?
1) मनसा पाप
मनसा पाप यह ऐसा पाप होता है, जो की मनुष्य सिर्फ अपने मन मे ही करता है। जैसे कोई भी मनुष्य अपने मन मे किसी के भी प्रति ईर्षा या घृणा की भावना रखता है, किसी भी स्त्री के लिए मन मे बुरा या गंदा सोचता है, किसी भी मनुष्य का बुरा सोचता है, किसी प्राणी के उपर क्रोध करता है यानी किसी प्रकार से मन मे गलत कार्य करने की सोचते है, उसको मन से किया जाने वाला पाप यानी मनसा पाप कहते है।
2) तनशा पाप
मनुष्य अपने तन से जो पाप करता है उसे तनशा पाप कहते है। जैसे तन से चोरी करना, हिंसा करना, डकेति करना, स्त्रियों से दुराचार करना, या इस धरती के किसी भी प्राणी के साथ किसी भी प्रकार का दुःख देना, उसे तनशा पाप कहते है।
3) धनसा पाप
मनुष्य जो पाप धन से या धन पाने के लिए करता है, उसे धनसा पाप कहते है। जैसे धन से शराब पीना, धन से जुआ खेलना, वेश्यावृति, धन को बुरे कर्मो के लिए खर्च करना, इसका मतलब किसी भी बुरे कार्य को करने के लिए धन का गलत इस्तेमाल करना होता है। इन सभी पापों को धनसा पाप कहते है।
4) वचना पाप
इंसान जिस पाप को अपनी वाणी से यानी बोलकर करता है, उसे वचना पाप कहते है। जैसे असत्य बोलना, चुगली करना, किसी भी इंसान की निंदा करना, इंसान किसी को अपने शब्दों से दुःख पहुँचाता है, तो उसे वचना पाप कहते है।
दोस्तो अपने इस पोस्ट मे पाप कितने प्रकार के होते हैं? इसके बारे मे तो जाना ही है और उन सभी पाप के बारे मे कुछ जानकारी पाया है। हमें आशा है, की आपको पाप कितने प्रकार के होते हैं, यह जानकारी अच्छी लगी होगी। आपको अगर यह पाप के कारण से जुड़ी जानकारी अच्छी लगी है, तो इसे share करे।