अलाउद्दीन खिलजी की जीवनी (1266- 1316) – हम आज इस पोस्ट में एक ऐतिहासिक व्यक्ति अलाउद्दीन खिलजी की जीवनी के बारे मे जानकरी लेके आए हैं।
अलाउद्दीन खिलजी का परिवार, पत्नी, जन्म, मृत्यू, कामुक्ता और भी बहुत कुछ इस लेख मे बताया गया हैं। इस लेख को अंतिम तक जरुर पढ़े।
Table of Contents
अलाउद्दीन खिलजी की जीवनी और जानकारी
मुद्दा | जानकारी |
असली नाम | अलाउद्दीन वाद दीन मुहम्मद शाह-उस सुल्तान |
नाम | अली गुरशस्प उर्फ जूना खान खिलजी |
उपनाम | ‘सिकंदर-ए-सानी,’ ‘दूसरा सिकंदर |
जन्म तिथि | 1266-1267 (16वीं-17 वी ) |
जन्मस्थान | कलात, ज़ाबुल प्रांत, अफगानिस्तान |
मृत्यु का स्थान | दिल्ली, भारत |
मृत्यु तिथि | 4 जनवरी 1316 |
आयु | 50 वर्ष (मृत्यु के समय) |
राजवंश | खिलजी |
गृहनगर | दिल्ली |
धर्म | इस्लाम धर्म |
जाति | सुन्नी |
व्यवसाय | शासक (दिल्ली का सुल्तान) |
शासन काल | 1291-1296 |
कारा के राज्यपाल (उत्तर प्रदेश में) | 1296 |
राज्यपाल अवधी | 1296–1316 |
भोजन की आदत | मांसाहारी |
शौक | तलवारबाजी, तैराकी संबंध, घुड़सवारी और अधिक |
वैवाहिक स्थिति (मृत्यु के समय) | विवाहित |
यौन अभिविन्यास / लिंग के अनुसार | वह उभयलिंगी थे। |
अलाउद्दीन खिलजी का परिवार (Allauddin Khilji Family)
रिश्ता | नाम |
पिता का नाम | शिहाबुद्दीन मसूद |
माता का नाम | नाम ज्ञात नहीं |
पत्नी का नाम | 1) कमलादेवी (कर्ण की पूर्व पत्नी) 2) झट्यपाली (रामचंद्र की बेटी) बच्चे- 4 3) मल्लिका-ए-जहाँ (जलालुद्दीन की बेटी) 4) महरू (अल्प खान की बहन) |
बेटे का नाम | 1) खिज्र खान (महरू से) 2) शादी खान 3) कुतुब उद दीन मुबारक शाह 4) शिहाब-उद-दीन उमर (महरू से) |
बेटी का नाम | कोई नहीं |
भाई का नाम | 1) अलमास बेग (उर्फ उलुग खान) 2) कुतलुग टिगिन 3) मुहम्मद |
अलाउद्दीन खिलजी की जीवनी
साल 1266-1267 के बीच अली गुरशस्प उर्फ जूना खान खिलजी के रूप में कलात ज़ाबुल प्रांत, अफगानिस्तान में खिलजी राजवंश में अलाउद्दीन खिलजी का जन्म हुआ था। अलाउद्दीन वास्तव में दुनिया पर शासन करने के लिए भावुक था और वह दूसरा सिकंदर बनना चाहता था। अलाउद्दीन को उनके समुदाजी अनुयायियों द्वारा दूसरे सिकंदर उर्फ सिकंदर-ए-सानी के रूप में भी नामित किया गया था।
मौजूदा प्रशासन में कई सुधार किए गए और अपने खिलाफ किसी भी विद्रोह को रोकने के लिए सेना में सुधार करने वाला अलाउद्दीन खिलजी एकमात्र शासक था। अलाउद्दीन के सुधारों के परिणामस्वरूप एक अच्छी सरकार बनी थी और सरकार खुद अलाउद्दीन ने ही संभाली थी। उनके कुछ सुधारों में बाजार सुधार (कम वेतन पर एक बड़ी सेना को बनाए रखने के लिए बाजार माल की कीमतों में कमी), राजस्व सुधार (हिंदू प्रांतीय का प्रत्यक्ष कराधान और निष्कासन), सामाजिक सुधार (शराब, वेश्यावृत्ति, जादूगर और चार्लटन पर प्रतिबंध लगाया ) और सैन्य सुधार मौजूद थे।
किसी भी प्रकार के विरोध और विद्रोह को रोकने के लिए ये सुधार किये गए थे। लेकिन इनमें से कुछ सुधार एक शक्तिशाली प्रशासन को बनाए रखने के लिए अच्छे नहीं साबित हुए थे। इस सुधार के दौरान हिंदुओं की स्थिति को और खराब कर दिया गया था और हिंदु बहुत तंग आ गए थे।
अलाउद्दीन खिलजी का परिवार, पत्नी और कामुकता
शिहाबुद्दीन के मसूद के यहाँ अलाउद्दीन खिलजी का जन्म हुआ था। अलाउद्दीन तुर्किक खिलजी वंश के वारिस थे। उनके पिता की मृत्यु के बाद उनका पालन-पोषण उनके चाचा और खिलजी वंश के संस्थापक सुल्तान जलालुद्दीन ने अपने तीन भाइयों कुतलुग तिगिन, अल्मास बेग उर्फ उलुग खान और मुहम्मद के साथ किया था। अलाउद्दीन इस्लाम धर्म का पालन करता था और वह सुन्नी मुसलमान था।
अलाउद्दीन ने अपने चाचा जलालुद्दीन की बेटी मलिका-ए-जहाँ से शादी की थी। चाचा जलालुद्दीन के दिल्ली के सुल्तान बनने के बाद उसकी बेटी राजकुमारी बन गई और वो अलाउद्दीन के प्रति बहुत अहंकारी थी। कयुकि अपनी पहली शादी से अलाउद्दीन खुश नहीं था और बाद मे महरू नाम की एक महिला से उसने दूसरी शादी कर ली। दूसरी शादी करने के कुछ दिन बाद देवगिरी को लूटने के बाद अलाउद्दीन ने फिर से देवगिरी की राजकुमारी झट्यपाली से शादी कर ली।
झट्यपाली के साथ उनको एक बेटा भी हुआ था, उसका नाम शिहाबुद्दीन उमर था और वो खिलजी वंश का उत्तराधिकारी भी था। अलाउद्दीन ने एक और हिंदू महिला कमलादेवी से भी शादी की जो गुजरात के अंतिम वाघेला एक राजा कर्ण की पूर्व पत्नी थीं।
अलाउद्दीन खिलजी की शादी चार महिलाओं से हुई थी, लेकिन उसने अपने गुलाम से सैन्य कमांडर मलिक काफूर के साथ एक गहरा बंधन भी विकसित कर लिया था। अलाउद्दीन खिलजी एक उभयलिंगी था और उसे अपने जीवन के अंतिम कुछ वर्षों में मलिक काफूर से गहरा प्यार हुआ था।
खिज्र खान और देवल रानी
साल 1312 में खिज्र खान शमसुल हक की शादी अल्प खान की बेटी और मलिका-ए-जहाँ के भाई जो गुजरात के गवर्नर थे, उनसे हुई थी। राजा करण देव की बेटी देवल देवी से खिज्र खान को पहले ही प्यार हो गया था। कयुकि महरु मलिका-ए-जहाँ खिज्र खाँ की शादी उसके भाई की बेटी से करना चाहती थी, इसलिए देवल रानी को क़सर-ए-लाल के पास भेज दिया गया था।
खिज्र खान की तबीयत कुछ बिगड़ने लगी और महरू ने आखिरकार अलाउद्दीन खिलजी से खिज्र खान की शादी देवल रानी से करने की अनुमति प्राप्त कर ली थी।
अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु
अलाउद्दीन खिलजी के अंतिम समय में विभिन्न प्रांतों में लगातार विद्रोह हो रहे थे। कमांडर अल्प खान की हत्या की खबर पर गुजरात गैरीसन ने विद्रोह के मानक को उड़ा दिया। चित्तौड़ में भी एक विद्रोह छिड़ गया जहाँ अलाउद्दीन की कठपुतली मालदेव को हम्मीर सिसोदिया द्वारा लगातार परेशान किया जाता था।
देवगिरी में हरपाल देव ने स्वतंत्रता ग्रहण की थी। अलाउद्दीन का जीवन-कार्य पूर्ववत प्रतीत होता था। एक अत्यंत थकाऊ और व्यस्त जीवन व्यतीत किया सुल्तान ने और जलोदर के विकारों से और मलिक काफूर द्वारा प्रशासित जहर के घातक प्रभावों से अलाउद्दीन की 6 जनवरी 1316 को मृत्यु हो गयी।
अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु का कारण
जियाउद्दीन बरनी (14वीं शताब्दी के विचारक और कवि) के अनुसार अलाउद्दीन की हत्या अलाउद्दीन के सेना कमांडर मलिक काफूर ने की थी। लेकिन कुछ अन्य इतिहासकारों के अनुसार अलाउद्दीन की मृत्यु एक पुरानी बीमारी के बाद हुई थी।
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